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डॉक्युमेंट्री फ़िल्म कैसे बनाएँ।
जायज़ा लें कि डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म कैसे बनती है और असल ज़िंदगी की कहानियों को बेहतरीन नॉन-फ़िक्शन फ़िल्म्स में बदलने के लिए पेशेवर फ़िल्मकारों से सुझाव पाएँ।
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अगर सबकुछ सही रहा, तो यह लोगों की सूझबूझ और उसकी खूबसूरती को बरकरार रखते हुए क्रिएटिविटी और इंटेलिजेंस को एक नए मुकाम पर ले जा सकती है।
प्री-प्रॉडक्शन का ज़्यादा से ज़्यादा फ़ायदा कैसे उठाएँ
इंटरव्यूज़ से अपनी काम की चीज़ें कैसे पाएँ
डॉक्युमेंट्री वीडियो प्रॉडक्शन कैसे करें
डॉक्युमेंट्री फ़िल्म क्या होती है?
सचमुच की वारदातों को कैप्चर करने व ऑडियन्सेज़ की दिलचस्पी जगाने वाली कहानियाँ सुनाने के लिए डॉक्युमेंट्रीज़ दमदार टूल्स का काम करती हैं। जैसा कि फ़िल्मकार ट्रूएन पेन्स कहते हैं, “डॉक्युमेंट्रीज़ मेरे लिए हमेशा से किसी सब्जेक्ट की ज़िंदगी को जीने का ज़रिया रही हैं। मैंने अपनी दिलचस्पी वाली चीज़ों से ही डॉक्युमेंट्रीज़ बनाने की शुरुआत की थी।”
सिर्फ़ लम्हे कैप्चर करके ही फ़ुटेज को डॉक्युमेंट्री में नहीं बदला जा सकता। चाहे डॉक्युमेंट्री Sundance के लिए बन रही हो, Netflix के लिए, या YouTube के लिए, इस काम में इंटरव्यूज़ से लेकर आर्काइवल मटीरियल तक कई तरह की फ़ुटेज जुटानी पड़ती है। सबसे अहम काम एडिटिंग का होता है, जिसमें एक सिलसिलेवार कहानी गढ़ने के लिए एलिमेंट्स को चुनना पड़ता है और उन्हें एक-दूसरे के साथ मिलाना होता है। तय करें कि ये हिस्से आपकी कहानी में एक-दूसरे के साथ कैसे आएँगे।
प्री-प्रॉडक्शन का ज़्यादा से ज़्यादा फ़ायदा कैसे उठाएँ
अपना कैमरा चालू करने से पहले, अपनी रिसर्च करके तैयारी कर लें। पेन्स कहते हैं, “अपनी कहानी की एक समझदारी बना लें और लोगों या सब्जेक्ट के बारे में जानकारी हासिल कर लें, ताकि आप समझ-बूझ कर सवाल पूछ सकें।”
यह आपके टॉपिक से तय होगा कि आपको किस तरह की रिसर्च करनी होगी। किसी हिस्टॉरिकल डॉक्युमेंट्री के लिए, आपको लाइब्रेरी या आर्काइव्स में समय बिताना पड़ सकता है। ऐमज़ॉन के रेनफ़ॉरेस्ट की तबाही पर आपको ऑनलाइन काफ़ी जानकारी मिल सकती है, मगर आपको वहाँ पर जाकर लोगों से मिलना भी होगा और उनसे बात करनी होगी।
आर्काइवल फ़ुटेज जुटाएँ।
काम की आर्काइवल फ़ुटेज पर रिसर्च करें, और इंटरव्यू में शामिल हो रहे लोगों से पुरानी फ़ोटोज़ या वीडियोज़ माँगें।
स्टोरी की आउटलाइन तैयार करें।
फ़िक्शन-आधारित कहानियों की तरह डॉक्युमेंट्रीज़ की स्क्रिप्ट नहीं लिखी जाती। अपने काम की फ़ुटेज को विज़ुअलाइज़ करने के लिए एक ब्रॉड आउटलाइन या स्टोरीबोर्ड बनाएँ। पेन्स कहते हैं, “कभी-कभी मैं स्टोरीलाइन लिखता हूँ, तो उससे मुझे स्टोरी के बारे में एक अंदाज़ा लगाने में मदद मिलती है या मेरे स्टेकहोल्डर्स को यह समझने में मदद मिलती है कि मैं किस तरह की स्टोरी सामने लाने जा रहा हूँ।”
सब्जेक्ट्स के साथ भरोसा पैदा करें।
आउटलाइन होने से सब्जेक्ट्स के साथ भरोसा पैदा होता है। डॉक्युमेंट्री फ़िल्मकार एरिन ब्रेथॉर कहती हैं, “अगर आपको किसी के पर्सनल एक्सपीरियंस के बारे में स्टोरी बनानी है, तो पक्का कर लें कि आपकी स्टोरी उन्हें भी समझ में आए ताकि आपको अपने काम की चीज़ों का ऐक्सेस मिल सके।”
ज़रूरत के हिसाब से बदलाव करने के लिए तैयार रहें।
ब्रेथॉर कहती हैं, “आगे की प्लानिंग करके रखें और अपने मकसद को ध्यान में रखकर सोचें, लेकिन आपको यह भी समझना होगा कि कभी-कभी चीज़ें बदल जाती हैं और सबकुछ उम्मीद के मुताबिक नहीं होता, इसलिए ऐसे में आपको जैसा माहौल हो उस हिसाब से काम करना पड़ता है।”
फ़िल्म के लुक के बारे में सोचें।
डॉक्युमेंट्रीज़ में भी स्टाइल हो सकता है। कैमरा ऐंगल्स की क़िस्मों समेत आपके विशन को रास्ता दिखाने के लिए एक मूडबोर्ड बनाएँ और विज़ुअल रेफ़रेंसेज़ जुटाएँ। पेन्स कहते हैं, “काम करते वक्त हर समय आपको कुछ न कुछ सीखने को और बदलने को मिलता है, लेकिन अगर आपका पहले से ही कोई विशन है तो उसके इर्द-गिर्द रहते हुए ही काम पूरा किया जा सकता है।”
इंटरव्यूज़ से अपनी काम की चीज़ें कैसे पाएँ
लोगों के बारे में या उनके तजुर्बों और उनकी जानकारी के बारे में पता करने का सबसे अच्छा तरीका ज़्यादातर यह होता है कि उनसे बात की जाए। ज़्यादातर एक्सपोज़िटरी, पार्टिसिपेटरी, ऑब्ज़र्वेशनल, और परफ़ॉर्मेटिव डॉक्युमेंट्रीज़ में इंटरव्यू फ़ुटेज शामिल होते हैं।
सारे सवाल पूछें।
जो सवाल बिलकुल साफ़ तौर पर आपके सामने हैं उन्हें पूछने में हिचकिचाएँ नहीं; कई व्यूअर्स भी आपकी तरह ही कुछ चीज़ों को लेकर पक्के तौर पर नहीं सोच पाते। पेन्स कहते हैं, “जानकारी पाने के लिए जताएँ कि आपको सचमुच जानने का मन है। इससे आपको गैर-ज़रूरी सवालों से बचने में मदद मिलेगी।”
वापस आने के लिए तैयार रहें।
डॉक्युमेंट्रीज़ बनने में अक्सर सालों का वक्त लग जाता है, इसलिए अपने सब्जेक्ट्स की ज़िंदगियों में होने वाले बदलावों को कैप्चर करने के लिए ज़रूरी है कि आप उनके साथ रिश्ता बनाएँ और उसे कायम रखें। ब्रेथॉर और उनके को-डायरेक्टर/पति के लिए, इसका मतलब है संपर्क में रहना और बार-बार मुलाकात करना: “हम मुलाकात करने ज़रूर जाते हैं और पता करते हैं कि क्या चल रहा है, ताकि हम अंदाज़ा लगा सकें कि हमें कब वापस आना है।”
सिर्फ़ प्रज़ेंटर की निगाह से न सोचें।
अलग-अलग किस्म के विज़ुअल्स का इस्तेमाल करके व्यूअर्स की दिलचस्पी बनाए रखें। ब्रेथॉर कहती हैं, “एरुल मॉरस इंटरव्यू लेते वक्त एक शख्स के लिए पाँच अलग-अलग ऐंगल्स का इस्तेमाल करते हैं और एक डायनामिक एक्सपीरियंस तैयार करने के लिए उन अलग-अलग ऐंगल्स के बीच कट करते हैं।” अपनी कहानी को बेहतर बनाने के लिए B-रोल ड्रामाटाइज़ेशन्स, या एनिमेशन का इस्तेमाल करने के बारे में सोचें। ब्रेथॉर कहती हैं, “लोगों की आवाज़ें इस्तेमाल की जा सकती हैं और एक्सपीरियंसेज़ को इलस्ट्रेट करने के लिए एनिमेटर के साथ काम किया जा सकता है।”
डॉक्युमेंट्री वीडियो प्रॉडक्शन कैसे करें
अगर आपके समय है, ताकत है, और थोड़ा सा पैसा है, तो कम से कम मदद लिए बिना ही एक फ़ीचर-फ़िल्म भी शूट की जा सकती है।
एक छोटा क्रू हो, तो उससे मदद मिल सकती है।
एक छोटी सी टीम होने से माहौल और ज़्यादा इंटिमेट हो जाता है व सब्जेक्ट्स को कैमरे के सामने और ज़्यादा सहज महसूस होता है। ब्रेथॉर बताती हैं, “फ़िल्म शूट करने का काम हम दोनों ही करते हैं, इसलिए हमारे पास आमतौर पर अलग-अलग सीन्स के दो ऐंगल्स होते हैं। हमारे पास Canon C300 कैमराज़ हैं, जो डॉक्युमेंट्रीज़ के लिए शानदार होते हैं क्योंकि उनमें इन-कैमरा ऑडियो चलाया जा सकता है।”
RAW शूट करें।
पोस्ट-प्रॉडक्शन में सबसे अच्छी वीडियो क्वालिटी और लचीलेपन के लिए, पेन्स ज़्यादा से ज़्यादा रेज़ॉल्यूशन लेकर RAW में शूट करने की सलाह देते हैं। वे कहते हैं, “चाहे आपको किसी से माँगना पड़े या उधार भी लेना पड़े, पर अपने लिए अच्छे से अच्छा कैमरा लेकर आएँ क्योंकि उससे आपकी फ़िल्म काफ़ी बेहतर हो जाएगी।”
ढेर सारी फ़ुटेज कैप्चर करें।
आपको नहीं पता होगा कि आपकी आखिर में कैसी निकलेगी, इसलिए सब कुछ कैप्चर करें। पेन्स के हिसाब से यह तरीका काफ़ी मददगार है, क्योंकि इससे आपके ऊपर सबसे अच्छा शॉट लेने का दबाव हट जाता है। वे कहते हैं, “ऐसा करके बड़ी तादाद में कॉन्टेंट इकट्ठा हो जाता है जिसे आपको आगे चलकर कट करना होता है।”
Adobe Premiere Pro में अपनी डॉक्युमेंट्री एडिट करें।
डॉक्युमेंट्रीज़ बनाने के लिए Premiere Pro एक बेहतरीन एडिटिंग सॉफ़्टवेयर है, क्योंकि हर तरह के मीडिया के साथ तेज़ी से शुरुआत करना आसान होता है। इसमें AI से चलने वाले टूल्स भी शामिल होते हैं जो इंटरव्यू की फ़ुटेज, कलर, व साउंड पर काम करने में समय की बचत करते हैं।
आसानी से मीडिया इम्पोर्ट करें।
किसी भी वीडियो, ऑडियो फ़ॉर्मेट, या रेज़ॉल्यूशन (जिसमें HD, 4K, और 8K भी शामिल है) को आसानी से Premiere Pro में इम्पोर्ट करें। सीधे स्टोरेज से फ़ाइलों को नेविगेट और प्रीव्यू करने के लिए मीडिया ब्राउज़र का इस्तेमाल करें, ताकि आप तय कर सकें कि किस मीडिया से शुरुआत करनी है। एक लंबी डॉक्युमेंट्री बनाते समय चीज़ों को चाक-चौबंद रखने के लिए नोट्स या मार्कर्स की मदद से मेटाडेटा मैनेज करें।
इंटरव्यूज़ को कारगर व असरदार ढंग से एडिट करें।
आपकी फ़ुटेज अपने आप 18+ लैंग्वेजेज़ में ट्रांसलेट हो जाए, इसके लिए AI से चलने वाले स्पीच-टू-टेक्स्ट का इस्तेमाल करें। उसके बाद, ट्रांसक्रिप्ट्स को स्किम करने के लिए टेक्स्ट-आधारित एडिटिंग का इस्तेमाल करें, एक्स्टेंडेड इंटरव्यूज़ में सर्च करें, नोट्स डालें, और टेक्स्ट को कॉपी व पेस्ट करके वीडियो एडिट करें और यह सब करने के लिए घंटों के फ़ुटेज सुनने की ज़रूरत नहीं है।
एडिटिंग का काम आसान बनाएँ।
सबसे अहम शॉट्स की पहचान करने के लिए सीन एडिट डिटेक्शन का इस्तेमाल करें और डिजिटाइज़ की गई या सिंगल-फ़ाइल आर्काइव्ड फ़ुटेज में कट्स डालें, जिससे डॉक्युमेंट्री को रीअरेंज करना आसान हो जाता है।
कलर करेक्शन का काम कारगर व असरदार बनाएँ।
AI-संचालित ऑटो कलरक्लिप्स में सटीक स्किन टोन के साथ कंसिस्टेंट कलर हासिल करें, और कलर मैच का इस्तेमाल करके एक ही क्लिक में कई कैमराज़ के कलर्स का मिलान करें। उसके बाद, इमोशन और डेप्थ जोड़ने के लिए क्रिएटिव कलर ग्रेडिंग के साथ अपनी डॉक्युमेंट्री को बेहतर बनाएँ।
अपने डॉक्युमेंट्री की ऑडियो को रिफ़ाइन करें।
पॉलिश किए गए ऑडियो मिक्स की मदद से अपने ऑडियन्स की दिलचस्पी बनाए रखें। वॉइस रेकॉर्डिंग्स को साफ़-सुथरा बनाने व बैकग्राउंड न्वाइज़ कम करने के लिए AI से चलने वाले एन्हांस स्पीच का इस्तेमाल करें। लाउडनेस मैचिंग की मदद से कंसिस्टेंट डायलॉग लेवल्स बनाए रखें, और स्पीच के दौरान ऑटो डकिंग की मदद से म्यूज़िक का वॉल्यूम कम कर दें।
ग्राफ़िक्स की मदद से अपनी डॉक्युमेंट्री को बेहतर बनाएँ।
अपनी डॉक्युमेंट्री की प्रॉडक्शन वैल्यू बढ़ाने के लिए प्रोफ़ेशनल ग्राफ़िक्स और मोशन ग्राफ़िक्स टेम्प्लेट्स का इस्तेमाल करें। इसेंश्यल ग्राफ़िक्स पैनल में एनिमेटेड टेम्प्लेट्स ढूँढ़ें या After Effects में कस्टम टेम्प्लेट्स बनाएँ। अपनी स्टोरी को असरदार ढंग से आगे बढ़ाने के लिए सटीक ऑन-स्क्रीन टेक्स्ट शामिल करें।
मददगार फ़ीडबैक पाने के लिए अपनी फ़िल्म को शेयर करें।
Premiere Pro के साथ आने वाले Frame.io का इस्तेमाल करें और सीधे अपने एडिटिंग सॉफ़्टवेयर में फ़्रेम-दर-फ़्रेम सटीक फ़ीडबैक जुटाएँ। इससे आपको अपनी डॉक्युमेंट्री को फ़ाइनलाइज़ करने से पहले उसे बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। सब्जेक्ट के लिए आपका जोश दूसरों को दिखाई देगा, लेकिन फ़ीडबैक से आपकी फ़िल्म ज़्यादा से ज़्यादा पॉलिश हो जाएगी।
फ़ाइनल कट बनाने के बाद, उसे फ़िल्म फ़ेस्टिवल्स में सबमिट करें। पहले से कुछ नहीं कहा जा सकता कि क्या फ़िल्म लोगों का ध्यान खींचेगी, लेकिन एक अच्छे से एडिट की गई डाक्युमेंट्री होने से आपके लिए अपनी छाप छोड़ने के मौके बढ़ जाएँगे।
कंट्रीब्यूटर
ट्रूएन पेन्स, एरिन ब्रेथॉर
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