3D प्रोजेक्शन मैपिंग से जुड़े खर्चों में ये चीज़ें शामिल हैं: इसमें इस्तेमाल होने वाला प्रोजेक्टर, एक कंप्यूटर या लैपटॉप, और Creative Cloud व Substance 3D जैसा कॉन्टेंट क्रिएशन सॉफ़्टवेयर। आपको जिस सर्फ़ेस पर प्रॉजेक्ट करना है उसके साइज़ और स्केल के हिसाब से, इस्तेमाल किए जाने वाले प्रोजेक्टर की किस्म काफ़ी अलग-अलग हो सकती है। कुल मिलाकर, 3D प्रोजेक्शन मैपिंग ऑडियंस के साथ जुड़ने का एक किफ़ायती तरीका है।
आपको एक अच्छी क्वालिटी वाला प्रोजेक्टर, कंप्यूटर, 3D मॉडलिंग सॉफ़्टवेयर, सर्फ़ेस कैलिब्रेशन टूल, ऑडियो टूल्स (अगर ज़रूरत हो), कंट्रोल डिवाइसेज़, केबल्स और कनेक्टर्स लेने होंगे। इनके अलावा, घर तक पहुँचने का रास्ता तो चाहिए ही और बाहर होने पर प्रॉजेक्टर को प्रोटेक्ट करने का इंतज़ाम भी करना होगा। सबकुछ मिलाकर देखा जाए, तो लोकेशन, स्केल, व प्रॉजेक्ट की जटिलता के हिसाब से ज़रूरी इक्विपमेंट्स भी अलग-अलग होंगे।
2D प्रॉजेक्शन किसी स्क्रीन या दीवार पर फ़िल्म देखने जैसा होता है। 3D प्रॉजेक्शन में, प्रॉजेक्शन में 3D सर्फ़ेस से मेल खाने के लिए हेरफेर किया जाता है। 3D प्रॉजेक्शन मैपिंग ज़्यादा जटिल होती है, लेकिन यह ज़्यादा दिलचस्प इल्यूज़न्स व इफ़ेक्ट्स पैदा कर सकती है जिससे देखने वालों को एक इमर्सिव एक्सपीरियंस मिलता है।